Sunday 16 August, 2009

Switzerland-3: Lausanne

दूसरे दिन हम लौसान्न घूमने गएलौसान्न लेक जिनेवा के किनारे बसा है, जो देश के सबसे सुंदर जगहों में गिनी जाती है. असल में हम शहर नही घूमना चाहते थे, इस झील के किनारे के इलाके घूमना चाहते थेतो हम लौसान्न तो पहुचे पर वहां से हम तुंरत Montreux जाने वाली ट्रेन पकड़ेयह एक लोकल ट्रेन है जो लेक जिनेवा के किनारे-किनारे चलती हैबहुत सुंदर रास्ता है यहएक तरफ़ सुंदर पहाड़ जिनपर अंगूर की खेती होती है, और दूसरी तरफ़ बहुत सुंदर सी झील
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हम लोग रास्ते में जो स्टेशन सुंदर लगता था, उसपे उतर जाते थेपहले हम एक बहुत छोटे स्टेशन संत सोफोरिन पे उतर गएस्टेशन से निकल कर गाँव में गएबगल में एक छोटा सा रास्ता था जो झील के किनारे जाता थापत्थर का प्लेटफोर्म बना थाथोडी हवा चल रही थी तो झील की लहरें आकर टकराती थीमैं पहले ही बता दूँ कि फोटो में जितना सुंदर लगता है, उससे कहीं ज़्यादा सुंदर जगह है
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वहां से हम लोग ट्रेन पकड़े और फ़िर एक और स्टेशन पे उतरे जिसका नाम था लुतरीयह थोडी बड़ी जगह थीकई बड़े बड़े घर थेयहाँ पर उतर कर हम झील कि तरफ़ गएझील के किनारे बहुत सारी नाव खड़ी थीऔर किनारे पे एक काफ़ी की दूकान थी जहाँ पे हमने काफ़ी पीकिनारे पे बत्तख तैर रही थीपास में पार्क था जहाँ बच्चे खेल रहे थेबहुत अच्छी हवा चल रही थीहम लोग झील के किनारे दूर तक सैर किए
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वहां फाफी देर घूमने के बाद वापस स्टेशन की तरफ़ बढ़ेरास्ते में अंगूर का एक बाग़ था उसमें घुस गएवहां पे अंगूरों के साथ फोटो खिचवाएसब मिलकर बहुत मज़ा आयालोग भी अच्छे थे
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वापस लौसान्न लौटकर हम एक फूलों के कोई शो था (कितने फूल हैं यार!) जिसको देखने शहर में गएपर वोह मिला नही और हमारे पास टाइम ख़त्म हो रहा थातो हम लोग वापस लौ कर स्टेशन पहुच गए जहाँ से वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ लिएशहर में बहुत मज़ा नही आया, शायद इसीलिए मैं हमेशा छोटी जगह देखने जाता हूँ
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Posted via email from मेरे संस्मरण

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