Saturday 29 August, 2009

Paris

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पेरिस के बारे में मैंने बहुत सुना था और टीवी पे देखा था। कई सालों से जाने का मन था। तो जब बार जाने का मौका मिला तो सूचा की इस बार नहीं मिस करेंगे फिर क्या था पता वता किया, ऑफिस से छुट्टी ली, बुकिंग करायी और, निकल पड़े, पेरिस के लिए।

हम लोग पेरिस एअरपोर्ट पे उतरे तो देखा बहुत बड़ा एअरपोर्ट है, एक से दूसरे टर्मिनल के बीच बस और ट्रेन चलती है। हमको सिटी पास वगैरह लेना था। शहर में घूमने के लिए हमने पेरिस विस्ते टिकेट लिया जो तीन दिन का पास होता है। किसी भी बस या ट्रेन में बैठ सकते हैं। अच्छा होटल मिल गया था जो अपने दाम के हिसाब से बहुत सही था वैसे तो पेरिस। के होटल बहुत मेहेंगे होते हैं यह सही था, और यहाँ से कहीं भी जाना आसान था। पेरिस में एइफ्फेल टावर तो है, इसके इलावा पेरिस में बहुत सारे म्यूज़ियम भी हैं। तो हमने म्यूज़ियम पास भी लिया। इससे हम पेरिस के किसी भी म्यूज़ियम में जा सकते थे।

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फ़िर हम ट्रेन से एअरपोर्ट से पेरिस शहर आए और ट्रेन बदल कर कर होटल पहुच गए। तैयार होकर अर्क दी त्रिओम्फे (http://en.wikipedia.org/wiki/Arc_de_Triomphe) गए। यह नेपोलियन की जीत पे बनाया गया स्मारक है। इसे देखकर, और फोटो खीच कर हम Avenue des Champs-Élysées घूम जो दुनिया की सबसे प्रसिद्ध सड़कों में से है। इस सड़क के दोनों तरफ़ बड़े बड़े ब्रांड के शोरूम हैं। लम्बौर्घिनी, रेनोल्ट, टोयोटा, कार्तिएर, डिज़नी, हूगो, जो नाम लीजिये। हम लोग कुछ दुकानों में घूमने गए।
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यह सब घुमते हुए हम इस सड़क की दूसरे छोर पहुचे। यहाँ सड़क के दोनों तरफ़ दो महल थे: ग्रैंड पैलेस और पेटिट पैलेस। यहाँ से हम इन्वेलिडेज़ आए। यहाँ पे कई इमारतें और म्यूज़ियम हैं जो फ्रांस की मिलिटरी इतिहास से जुड़ी हुई हैं। यहाँ पे पेरिस की सिएन रिवर के ऊपर बना हुआ सुंदर पुल था जिसके दोनों तरफ़ सुंदर मूर्तियाँ लगी हुई थी। इस पुल से एइफ्फेल टावर भी दिख रहा था।

शाम होने पे हम टूर पकड़ने अपने टूर ओपेरटर के ऑफिस गए। टूर में हमने एइफ्फेल टावर के ऊपर तक जाने का टिकेट भी था। तो उनके टूर के साथ एइफ्फेल टावर गए ऊपर तक। वहां से पूरा शहर अच्छे से दिख रहा था। यह सही चीज़ थी!

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एइफ्फेल टावर के बाद टूर वाले हमको सिएन रिवर क्रुज़ का पास दिए। हम लोग उस बोट पे बैठकर शहर घूमने गए। इस क्रुज़ से पेरिस की सब अच्छी इमारतें दिख रही थी जो शाम को और भी सुंदर लग रही थी। साथ में वोह पेरिस का इतिहास भी बताते जा रहे थे।

क्रुज़ के बाद इल्लुमिनेशन्स टूर की बारी थी। इस टूर में पेरिस रात को घुमाते हैं। रात की रौशनी में पेरिस बहुत ज़्यादा सुंदर लगता है। पूरा शहर जगमगा उठता है। एइफ्फेल टावर पे अच्छी रौशनी की जाती है। टूर ख़त्म होने पे हमने सोचा की बहुत अच्छा टूर मिला। घूम फ़िर कर हम थक गए और वापस होटल लौटने की सूचे। रात के १० बज रहे थे। रेस्तरां में खाना खोजे तो सब बंद हो रहे थे। यूरोप में डिनर जल्दी कर लेना चाहिए। अगर मक्दोनाल्ड्स, KFC टाइप की दुकाने न हो तो टूरिस्ट भूखे ही रह जायेंगे। तो हमने KFC पे डिनर किया और होटल पहुँच गए।

दूसरे दिन हम सुबह सुबह वेर्सैल्ले पैलेस (http://en.wikipedia.org/wiki/Palace_of_Versailles) घूमने गए। यह एक भव्य महल था। हर तरफ़ मूर्तियाँ और पेंटिंग लगी हुई थी। बहुत महंगा बनाया गया होगा। हर तरफ़ राजसी शान-ओ-शौकत थी। राजाओं के टाइम में कैसा रहा होगा, कल्पना भी नही कर सकते।

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दिन कैसे निकल जाता है पता ही नही चलता है। दोपहर हो गई थी। अब पेरिस लौटते तो कई म्यूज़ियम बंद हो जाते। बहुत प्लान करके चलना पड़ता है। मैं ज़्यादा जगह घूमने की जगह मैं जो जगह जाऊँ अच्छे से घूमना चाहता हूँ। सब सोच के हम एक्वेरियम घूमने गए। यहाँ पे ढेर सारी मछलियाँ थी कुछ बड़ी, कुछ बहुत छोटी और कुछ बहुत ही सुंदर।
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इसके बाद हम नेशनल लाइब्रेरी घूमने गए। आप सोचेंगे की लाइब्रेरी भी कोई घूमने की जगह है (http://en.wikipedia.org/wiki/Biblioth%C3%A8que_nationale_de_France), और वोह भी जब अन्दर न जाने मिले? पर मेरे लिए सही जगह थी। काश मेरे देश में भी कोई ऐसी लाइब्रेरी होती! इसमें एक करोड़ से ज़्यादा किताबे हैं। चार बड़ी बड़ी बिल्डिंग में फैला हुआ है। उसके एक तरफ़ सिएन नदी थी। वहां से शहर का नज़ारा बहुत अच्छा लगता है। इतना घूम के थक गए थे तो थोड़ा आराम करने गए। फ़िर शाम को शहर घूमने का प्लान था।
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शाम को एइफ्फेल टावर देखने का प्रोग्राम था। रात को १० बजे एइफ्फेल टावर पे सुंदर बिजली की सजावट होती है। ट्रेन छूटने के कारन एइफ्फेल टावर तक नही पहुच पाए, तो इन्वेलिडेज़ के पास से देखने के लिए दौड़ लगाये। इन्वेलिडेज़ से दूर से दिख रहा था पर पूरा दीखता था, और सुंदर लगता है। जब एइफ्फेल टावर की बिजली झिलमिलाने लगी तो हम देख के बहुत खुश हुए। बहुत अच्छा नज़ारा था। यह १० मिनट चला। हमने एइफ्फेल टावर मन भर देखा।
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थोडी देर में हम एइफ्फेल टावर के पास वाले स्टेशन पे उतर गए। जब बहार आए तो वोह दिखा नही । मैंने सोचा की शायद ग़लत स्टेशन है। फ़िर पता चला की हम उलटी तरफ़ जा रहे थे :) । पलट के देखा तो हमारे पीछे मशहूर एइफ्फेल टावर खड़ा था। हम उसके पास गए और अच्छे से देखे। कुछ समय वहां बिताये।

यह देखने के बाद हम कांकोर्ड और लौव्रे म्यूज़ियम होते हुए ऑपेरा हाउस पहुचे। इन सब बिल्डिंग की नक्काशी बहुत सुंदर है, तो बहार से देखे। फ़िर ऑपेरा के पास एक रेस्तरां पे अंग्रेजों की तरह डिनर किए।

तीसरे दिन हम लौव्रे म्यूज़ियम (http://en.wikipedia.org/wiki/Louvre) देखने गए। यहाँ पे मोना लिसा पेंटिंग है और भी बहुत कुछ है देखने को। सन्डे की वजह से बहुत भीड़ थी। हमने मोना लिसा देखी और बहुत साड़ी पुरानी मूर्तियाँ भी। यहाँ पे तो पूरा दिन बिता सकते हैं। हम १-२ घंटे बाद निकल लिए।

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लौव्रे के बाद हम नोट्रे डेम कैथेड्रल (http://en.wikipedia.org/wiki/Notre_Dame_de_Paris) देखने गए। यह एक बहुत सुंदर चर्च है जिसको बनने में २०० साल लगे थे। इसके ऊपर बहुत महीन नक्काशी है। ईसाईयों के लिए यह एक तीर्थ स्थान है। नोट्रे डेम कैथेड्रल जाने के इए सिएन नदी के किनारे चलते जाना था। नदी किनारे कुछ दुकाने थी जहाँ पे सुंदर पोस्टर मिल रहे थे। हमने पेरिस के कुछ पोस्टर खरीदे।

फ़िर हम डिफ़ेन्स म्यूज़ियम देखने गए जहाँ पे नेपोलियन और चार्ल्स दी ग़ौल्ल के ऊपर झांकियां और म्यूज़ियम थे। उनके इतिहास के बारे में एक फ़िल्म भी चल रही थी जो हमने देखी। इसके बाद हम एक बार और अर्क दी त्रिओम्फे देखने गए और इस बार हम उसके ऊपर तक गए। ऊपर से शहर दूर दूर तक दिख रहा था। लेकिन ऊपर चढ़ने में हालत ख़राब हो गई। फ़िर हम Avenue des Champs-Élysées पे एक रेस्तरां पे खाना खाए। हम लोग अकेले भारतीय थे रेस्तरां पे। शाम होने पे हम एक बार फ़िर एइफ्फेल टावर घूमें और सिएने नदी के किनारे सैर की। अगले दिन हम प्लेन पकड़ कर नुरेम्बर्ग आ गए।

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(View of Avenue des Champs-Élysées from top of Arc de Triomphe)
पेरिस घूम कर बहुत मज़ा आया। एक बात अच्छी नही लगी वोह यह की हम ज्यादातर समय अंडरग्राउंड ट्रेन से आते जाते थे. ज़मीन के नीचे होने से यह सुंदर शहर अच्छे से नही देख पाए. अगली बार साइकिल से घूमेंगे. पेरिस मेरे यूरोप के आईडिया में फिट नही बैठता। मेरे लिए यूरोप का मतलब है की सुंदर बिल्डिंग्स, हर तरफ़ हरियाली, खुली जगह, कहीं कोई भीड़ नही, जो लोग दिखे वोह भी मुस्कुराते हुए। पेरिस ऐसा नही है, पर फ़िर भी घूमने की अच्छी जगह है। एक बार तो जाना चाहिए।

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Switzerland-5: Lucerne

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अगले दिन हमको नुरेम्बर्ग वापस लौटना था। शाम को फ़्लाइट थी। हमने प्लान किया की सुबह होटल खाली करके लुसर्न चले जाते हैं। फ़िर लुसर्न घूम के ज़ूरिक एअरपोर्ट के लिए ट्रेन पकड़ लेते हैं। तो हम चल पड़े होटल से, सुबह सुबह ढेर सारा नाश्ता कर के। पहले तो हमने ट्रेन पकड़ी मेरिरिन्गेन के लिए, और फिर हमने पकड़ी गोल्डन पास एक्सप्रेस जिससे हम लुसर्न तक गए! यह एक बहुत सुंदर सी ट्रेन है (बाकी भी सुंदर ही होती हैं, पर यह गोल्डन रंग की थी).  पर इसका नाम गोल्डन इसलिए है की वोह बहुत सुंदर रास्ते से होकर गुज़रती है, और यह गलत नहीं था। हर नज़ारा बस देखते ही रह जाते थे. यह ट्रेन पहाडियों के ऊपर भी चढ़ जाती थी।
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इस ट्रेन में समय का पता ही नहीं चला, लुसर्न पहुच गए। लुसर्न एक बड़ा शहर है। टेहेलने घूमने को बहुत कुछ था। पहले हम चैपेल ब्रिज (http://en.wikipedia.org/wiki/Chapel_Bridge) देखने गए। यह एक लकड़ी का पुल है जो ऊपर से भी ढका हुआ है। यह पुल लुसर्न झील के दो किनारों को जोड़ता है। देखने में अलग सा है और इसके अन्दर पेंटिंग बनी हुई है। पुल के दोनों तरफ़ लाइन से फूल लगे हुए हैं जो इसकी सुन्दरता को बढ़ा देते हैं।
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फिर हम नाव से झील की सैर पे गए। यह क्रूज़ पूरे झील की सैर करता है जिससे की शहर की सारी अच्छी जगहें देख सकें। तो हमने नाव की अच्छी सैर की जो लगभग एक घंटे की थी। फिर वापस किनारे पे आए जहाँ कोई मेला जैसा लगा था। वहां हम समोसा खाए। जी हाँ, स्विट्जरलैंड में समोसा! एक इंडियन आदमी की दूकान थी :) ।
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फिर हमें शेर का स्मारक (http://en.wikipedia.org/wiki/Lion_Monument) देखना था। खोजने में थोड़ा टाइम लगा क्योंकि यह झील से थोड़ा दूर था और मुझे रास्ता नहीं पता था. यह एक मरते हुए शेर की मूर्ती है।  यह स्मारक स्विस गार्ड की याद में बनाया गया था जो १७९२ में फ्रांस में शहीद हुए थे। इसके बारे में मैं कुछ नहीं लिखूंगा, यह देखने वाली चीज़ है।
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इसके बाद हम स्टेशन वापस लौटे। रास्ते में खाना खाया और मेरी पसंदीदा Starbucks काफ़ी पी। ट्रेन लगी हुई थी। हम अच्छी सी सीट खोज कर बैठ गए। कई ट्रेनें डबल-डेक्कर होती हैं। मुझे ऊपर वाले डेक की सीट पसंद आती है क्योंकि अच्छा दीखता है। इसी ट्रेन से हम एअरपोर्ट पहुँच गए। एअरपोर्ट पे मैंने स्विस चॉकलेट खरीदा। प्लेन पकड़कर रात तक हम नुरेम्बर्ग में अपने होटल पहुच गए। तीन दिन स्विट्जरलैंड में कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला। आज भी सपने जैसा लगता है।
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Switzerland-4: Interlaken

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लौसान्न बहुत सुंदर था, पर अभी तो हमने अपना इन्टर्लाकेन ही नहीं देखा था ठीक से। रोज़ बहार निकल जाते थे। लौसान्न से लौटे तो शाम को ७ बजे इन्टर्लाकेन पहुचे। आते समय हम इन्टर्लाकेन ऑस्ट स्टेशन की जगह इन्टर्लाकेन वेस्ट स्टेशन पे उतर गए। यह स्टेशन इन्टर्लाकेन ऑस्ट स्टेशन से बड़ा था और आस पास कई दुकाने भी थी। दोनों स्टेशन के बीच की दूरी २-३ किलोमीटर थी। तो हमने सोचा की इस स्टेशन से दूसरे तक टेहेलते हुए जाते हैं।
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मैप अच्छा था। रास्ता आसानी से मिल गया। पहले तो हमने डिनर पैक करा लिया जिससे की देर हो तो खाने की दिक्कत न हो। दोनों झीलों को जोड़ती हुई एक नहर थी। नहर के साथ-साथ एक सड़क जाती थी। हम बस उस सड़क पे चलते गए। नहर में बतख तैर रही थी। पानी बहुत साफ़ था, जैसे मिनेरल वाटर। किनारे पे जो घर थे वो बहुत सुंदर थे। फूल तो देखने लायक थे घरों में। घर के सामने बगीचे में और खिड़कियों पे, हर तरफ। उन्होंने बहुत अच्छे से मेन्टेन किया था। सड़क पे से पहाडियों का नज़ारा भी अच्छा लगता था।
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हम चलते गए  फिर हम नहर के साथ साथ इन्टर्लाकेन ऑस्ट स्टेशन पहुच गए। वहां पास में एक पार्क था जहाँ बैठने की जगह थी। वहां हमने खूब समय बिताया। फिर हम इन्टर्लाकेन ऑस्ट में अन्दर की तरफ गए जहाँ अपार्टमेन्ट और घर थे। अपार्टमेन्ट बहुत ही सुंदर और वेल मेन्टेन थे।  हर तरफ फूल लगे थे। यहाँ के रोड डिवाइडर में भी फूल लगे थे जो बहुत सुंदर थे।
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Sunday 16 August, 2009

Switzerland-3: Lausanne

दूसरे दिन हम लौसान्न घूमने गएलौसान्न लेक जिनेवा के किनारे बसा है, जो देश के सबसे सुंदर जगहों में गिनी जाती है. असल में हम शहर नही घूमना चाहते थे, इस झील के किनारे के इलाके घूमना चाहते थेतो हम लौसान्न तो पहुचे पर वहां से हम तुंरत Montreux जाने वाली ट्रेन पकड़ेयह एक लोकल ट्रेन है जो लेक जिनेवा के किनारे-किनारे चलती हैबहुत सुंदर रास्ता है यहएक तरफ़ सुंदर पहाड़ जिनपर अंगूर की खेती होती है, और दूसरी तरफ़ बहुत सुंदर सी झील
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हम लोग रास्ते में जो स्टेशन सुंदर लगता था, उसपे उतर जाते थेपहले हम एक बहुत छोटे स्टेशन संत सोफोरिन पे उतर गएस्टेशन से निकल कर गाँव में गएबगल में एक छोटा सा रास्ता था जो झील के किनारे जाता थापत्थर का प्लेटफोर्म बना थाथोडी हवा चल रही थी तो झील की लहरें आकर टकराती थीमैं पहले ही बता दूँ कि फोटो में जितना सुंदर लगता है, उससे कहीं ज़्यादा सुंदर जगह है
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वहां से हम लोग ट्रेन पकड़े और फ़िर एक और स्टेशन पे उतरे जिसका नाम था लुतरीयह थोडी बड़ी जगह थीकई बड़े बड़े घर थेयहाँ पर उतर कर हम झील कि तरफ़ गएझील के किनारे बहुत सारी नाव खड़ी थीऔर किनारे पे एक काफ़ी की दूकान थी जहाँ पे हमने काफ़ी पीकिनारे पे बत्तख तैर रही थीपास में पार्क था जहाँ बच्चे खेल रहे थेबहुत अच्छी हवा चल रही थीहम लोग झील के किनारे दूर तक सैर किए
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वहां फाफी देर घूमने के बाद वापस स्टेशन की तरफ़ बढ़ेरास्ते में अंगूर का एक बाग़ था उसमें घुस गएवहां पे अंगूरों के साथ फोटो खिचवाएसब मिलकर बहुत मज़ा आयालोग भी अच्छे थे
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वापस लौसान्न लौटकर हम एक फूलों के कोई शो था (कितने फूल हैं यार!) जिसको देखने शहर में गएपर वोह मिला नही और हमारे पास टाइम ख़त्म हो रहा थातो हम लोग वापस लौ कर स्टेशन पहुच गए जहाँ से वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ लिएशहर में बहुत मज़ा नही आया, शायद इसीलिए मैं हमेशा छोटी जगह देखने जाता हूँ
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Switzerland-2: Jungfrau

रिग्गेनबेर्ग में बस से उतरे तो सड़क के एक तरफ़ पहाडियां और दूसरी तरफ़ झील थी। बीच की जगह में प्यारा सा गाँव। हम लोग तो बस नज़ारे देखते रह जा रहे थे। मैंने इन्टरनेट से इस इलाके का नक्शा प्रिंट कर लिया था तो रास्ता पता था। नीचे झील की तरफ़ जाते हुए रास्ते पेहम बढ़ गए। रास्ते में एक चर्च था प्यारा सा। उसके आगे नीचे जाने पे झील से लगा हुआ हमारा होटल सीबेर्ग
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हम लोग फ्रेश होकर तुंरत आगे घूमने चल दिए। अभी हम जितना उतरे थे फ़िर अब उतना ही चढ़ना पड़ रहा था। बस स्टाप पहुचे तो बस निकल चुकी थी। तो हम स्टेशन की ओर गए। यहाँ पे आने जाने की कोई दिक्कत नही होती। हर गाँव कसबे तक ट्रेन जाती है। स्टेशन पहुचे तो वहां हम अकेले थे। एक दम साफ़ सुथरा. टीटी तक नही था। सिर्फ़ स्विस रेलवे की ट्रेडमार्क घड़ी की आवाज़ आ रही थी. एक बार को लगा की यह स्टेशन बंद है, कोई ट्रेन नही आती। पार तभी एक जगमगाती लोकल ट्रेन आ पहुची।
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Jungfrau
ट्रेन से हम इन्टर्लाकेन  पहुचे। वहां से हमको युंगफ़्राउ जाना था। युंगफ़्राउ यूरोप की सबसे ऊँची पहाड़ी है। इसके ऊपर तक जाने के लिए ट्रेन चलती है। इसकी ऊंचाई ३४५४ मीटर है। ३ ट्रेन बदल कर जाना पड़ता है, और इसका अलग से टिकेट लेना पड़ता है। आखिरी ट्रेन तो बिल्कुल खड़ी चढाई पे चढ़ती है। ठण्ड बहुत तेज़ी से बढती है। एकदम ऊपर पहुचने पे बर्फ से सब ढका हुआ होता है। इतने ऊपर तक ट्रेन चलाना इंजीनियरिंग की एक मिसाल है।
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ऊपर जाते समय कुछ जगह पे पहाड़ खोदकर स्टेशन बनाये हुए हैं जहाँ से ग्लेशियर देखा जा सकता है। सबसे ऊपर वाले स्टेशन पे रेस्तरां और दुकाने हैं। एक इंडियन रेस्तरां भी है! स्टेशन air-conditioned है। पार वहां से निकल कर ग्लेशियर पे जा सकते थे। उस दिन मौसम अच्छा नही था तो हम ग्लेशियर पे नही जा सके। बस थोड़ा बर्फ से खेले। बहुत तेज़ हवा थी तो मैं भी अन्दर आ गए। बदली थी और हम बादलों के बीच थे! स्टेशन पे एक आइस पैलेस भी था। इस महल में सब कुछ बर्फ का था... दीवारें, फर्श, और मूर्तियाँ थी। बर्फ की मूर्तियाँ सबसे अच्छी थी। यहाँ पे दुकानों से हमने थोड़े गिफ्ट लिए, ख़ास तौर पे घंटी! (DDLJ याद है?)
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लौटते समय बारिश होने लगी और हम और नही घूम पाए। नीचे इन्टर्लाकेन में आकर हमने डिनर किया और फ़िर होटल की और चल दिए। बढ़िया ठण्ड हो रही थी। होटल पर हम झील के किनारे कॉफी पिए. बहुत सुंदर नज़ारा था.
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Switzerland-1: Reaching Interlaken

मैं स्विट्जरलैंड बहुत दिनों से जाना चाहता था पर आज तक चांस नही मिला था। इस बार मुझे मौका मिला तो मैंने तय कर लिया की ज़रूर जाऊंगा। सब कुछ प्लान किया, बुक किया, और रचना को भी बुला लिया इंडिया से। सब कुछ इन्टरनेट से पढ़ पढ़ के पता किया और प्लान किया। मुझे ज़्यादा टाइम नही मिलता, क्योंकि मुझे ऑफिस का काम भी देखना था। एक दिन की छुट्टी लिया तो वीकेंड के साथ मिला कर दिन मिले। इतना काफ़ी नही था, पर जो टाइम मिल रहा था उसको बहुत अच्छे से घूमने का सोचा।


१७ जुलाई २००९, शुक्रवार की सुबह तड़के तड़के हम लोग नुरेम्बर्ग एअरपोर्ट पहुच गए, ज़ुरिक जाने के लिए। बजे की फ़्लाइट थी, हम लोग :५० पे पहुच गए नुरेम्बर्ग के प्यारे से एअरपोर्ट पे। वैसे एअरपोर्ट छोटा है प् उसको बेस्ट एअरपोर्ट के कई इनाम मिले हैं। हमारी बुकिंग स्विस एयर की फ़्लाइट से थी, सुंदर सा प्लेन था। हम लोग इतने खुश थे की ४० मिनट का रास्ता पता भी नही चला। प्लेन में हल्का नाश्ता और चॉकलेट मिली थी। स्विट्जरलैंड पक्की टूरिस्ट के लिए बनी हुई जगह है और उसकी सुन्दरता एअरपोर्ट से ही शुरू हो जाती है।

हमने एअरपोर्ट से पैसे बदलवाए क्योंकि स्विट्जरलैंड में यूरो कर्रेंक्य नही चलती. और हमने स्विस पास लिया जिससे की हम सब जगह आसानी से -जा सकें। एक टिकेट से हर सरकारी बस, ट्रेन, या बोट पे कितना भी घूम सकते हैं। पर यह बहुत महंगा भी होता है। खैर हमने पास लिया और एअरपोर्ट से ट्रेन लेकर इन्टर्लाकेन के लिए निकल पड़े, क्योंकि हमारा होटल इन्टर्लाकेन में था।

Interlaken


इन्टर्लाकेन अलग शहर है, तो आप सोचेंगे की मैं आया जुरिक और मैंने होटल किसी और शहर में क्यों लिया। स्विज़र्लंद एक छोटा सा देश है। E-W ३५० km, N-S २२० km, ४१,५०० square km, लगभग हरयाणा के बराबर। और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बहुत ही अच्छा है। कहीं से कहीं भी जाने के लिए हर घंटे ट्रेन या बस मिलती है। तो कहीं आना जाना कोई दिक्कत नही। और सब कुछ सुपर फास्ट! अगर आप ट्रेन से एक दिशा में तीन घंटे चलते रहे तो आप दूसरे देश पहुच जायेंगे। कहीं भी रुकने में कोई प्रॉब्लम नही है, हर सुविधा होती है। डिनर का टाइम बजे होता है और सूरज १० बजे ढलता है. तो आप डिनर के बाद भी कहीं घूमना चाहेंगे. तो रुकना वहां चाहिए जहाँ आस पास देखने की जगह हो।
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इन्टर्लाकेन एक मशहूर घूमने की जगह है। यहाँ पर दो झील पास-पास हैं: लेक थुन और लेक ब्रिएंस। शहर दोनों झीलों के बीच की जगह में बसा हुआ है. दो झीलों के बीच बसे होने की वजह से इस शहर का नाम इन्टर्लाकेन है। जुरिक से हम दो घंटे में इन्टर्लाकेन पहुच गए। ट्रेन में एक आंटीजी मिली थी जो बहुत अच्छी थी। उन्होंने हमें घूमने की कई जगह बताई और अच्छा टाइम भी बताया। वोह लौसान्न में रहती थी और थुन में अपनी मम्मी से मिलने जा रही थी। उनसे बात करते करते रास्ता अच्छे से गुज़र गया। इन्टर्लाकेन उतर के हमको लोकल ट्रेन या बस पकड़ कर रिग्गेनबेर्ग जाना था। रिग्गेनबेर्ग इन्टर्लाकेन के बहार एक छोटा सा गाँव है, लेक ब्रिएंस के किनारे। यहाँ के गाँव सिर्फ़ नामे के गाँव होते हैं। फर्स्ट क्लास जगह होती है। हमारे होटल के ठीक सामने लेक ब्रिएंस थी। होटल के कमरे से ही नज़ारा इतना अच्छा होता था की देखते बनता था। शाम की काफ़ी लेक ब्रिएंस को देखते हुए पीने का मज़ा ही अलग था। यह हमारे होटल के सामने की फोटो है।
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इन्टर्लाकेन (और पूरा स्विट्जरलैंड) सुंदर क्यों है? सबसे पहले तो यह लोग अपने देश को बहुत साफ़ रखते हैं। कहीं कोई गन्दगी, कूड़ा नही होता। इतना साफ़ होता है जैसे कोई रहता ही नही। पानी देखिये, इतना साफ़ जैसे झील-नदियों में मिनरल वाटर बहा रहे हैं। इसके बाद कहीं खाली ज़मीन नही, खुली ज़मीन के ना होने से कीचड़ नही होता। फ़िर इस हरियाली के बीच में फूल लगा रखते हैं और घरों की हर खिड़की पे फूल होते हैं। आप सुंदर से सुंदर जिस जगह की कल्पना कर सकते हैं, उससे भी सुंदर है। इन लोगों ने अपने देश को इतना सुंदर बना के रखा है! स्टेशन से हम लोग बस पकड़ कर रिग्गेनबेर्ग के लिए चल दिए।
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Monday 3 August, 2009

Switzerland Travel Tips

I wanted to write about my trip to Switzerland, but before that, I want to first write few tips based on my experience. This will be helpful for others planning to visit. This is based on my experience and taste. It may need to be customised for your travel. I am not going to tell what all to see in detail because that information is available in the Swiss Tourism website (http://www.myswitzerland.com).

DURATION
I went to Switzerland for three days but four days (and 3 nights) is recommended duration. In this duration you will be able to see most delightful places and give enough time to them all. Longer the stay, the better, based on your cost and holiday duration.

STAY
Switzerland has traditional hotels as well as modern hotels. I prefer the chalet hotels in Switzerland because of their personalised touch and because it is the thing famous in Switzerland. It also gives the Swiss experience. But if you are not willing to compromise on comfort, go for modern hotels. I found Ibis Hotels http://www.ibishotel.com to be good and affordable. Be informed that the hotels in Switzerland are quite expensive

In personal experience, I stayed at Hotel Seeburg http://www.hotel-seeburg.com which was nice and affordable. It is about 4 KM away from the Interlaken City Centre. It was a lakeside hotel adjacent to Lake Brienz. So the view from the hotel was quite good. Usually you start the day early and the day ends early too. 8 pm is dinner time, so if you have had dinner and reached hotel at 9 pm, it is nice if the view from hotel is good because the sun goes down after 10 pm in summers. You can have a lakeside coffee or something. This hotel is recommended for its nice location and price.

Hotels can be booked with the hotel directly or using the Swiss railway travel website (http://travel.sbb.ch) or the Swiss Tourism website (http://www.myswitzerland.com) Do not be worried even if you reach Switzerland without prior reservation. There are ample number of hotels and many of them are not listed on the online reservation sites. You can go to any town or village (during office hours, of course) and it will have a small tourist information center near the bus station/stop or the train station, clearly marked. There you can inquire there and they will be able to arrange suitable accommodation. Many families have extra floors in their houses which are available for tourists and they are good.

TRANSPORT
Though the best way to go around would be by a rental car, if you cannot or do not want to go by car, use public transport which is excellent. Switzerland is now part of Schengen area (http://en.wikipedia.org/wiki/Schengen_Area), so you can visit it using the same visa by which you visit any other European country. Going around is easy, you just need to know the route. Do check for the toll requirements for Swiss Autobahns. If I know correctly, there is a toll sticker required which costs about 40 euros. But it is valid for a year and includes toll for all the bridges, tunnels and roads in the country.

By public transport you can reach any part of the country. The network is excellent. Also, there is a transport (train/bus) every one hour, so you need not worry about staying in city center, you can stay in a village and every morning reach from hotel to city by trains. Changing trains is very common and usually there are good connections. Train run on time. You can take fast trains from one major city to other and then go around the place via the regional or local transport. If you enter the source and destination in the railways website, it will tell you even the local transport connections. This web application is also available on mobile and on terminals at ticket center of major stations.

If you are going for few days ( 4 or 8) and planning to depend on public transport, you can take the Swiss Pass. This allows you unlimited travel in all public transport, including inter city trains and allows entry into all the museums.  If you are going for longer duration and will use trains only to visit other city once in a while, then Swiss Flexi Pass is better. It can be purchased at most major railway ticket offices, including the one at the Zurich airport.

Most times, you will have to change trains, so the map of Swiss railway network is useful. If you plan to visit a place with no direct connections, go to a mojor city on the train route and find connections from there. Major train stations are Zurich, Geneva, Lucerne, Lausanne and Bern. Whenever you are going to visit a place, check the return time of the train bus at the stop when you reach. Usually the frequency will be once every hour so you can plan your return. The yellow chart is for departures. Keep paper and pen handy to note the details.

WHAT TO SEE
I have seen many museums and cities, I liked Switzerland for its scenic places which are mostly outside cities. For example I would go to a city and then take a local train to nearby sight seeing / scenic places. I would get down at any station which I like beautiful and spend some time there. Lake Geneva region near Lausanne are very beautiful. The regional trains circle the lake and the view is wonderful. We travelled in the direction of Lausanne to Montreux and we got down from the train at several places. Most lakes and rivers will have a path to walk on its banks which will be nice to walk along.

Also, you can visit the mountains using trains (the cogwheel trains are expensive). Jungfrau is the highest point in Europe and definitely worth visiting.

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Saturday 1 August, 2009

Travel tips for Europeans travelling to India

India is a great place to visit and everyone is invited and welcome. Some people say that visiting India is not good and filled with trouble and is unsafe. But that is far from truth. India is not difficult, it is just different. So, I compiled a list of ideas, suggestions and tips for people travelling from European nations like Germany, France, Switzerland, Finland, Sweden etc. to India, for vacation or for work. This is fairly general information and should apply to people of other nations too. I have visited these countries so I know what all cultural differences are there to overcome.

TRAVEL PLANNING
You do not need a survival training to visit India, you just need to know better. There are direct flights from many countries to one of the International airports in India. So, booking tickets to India should not be a problem. If you know somebody in India, pleae use that contact (even Facebook/Linkedin/Twitter friend will do, just make sure he is well educated) to get more information from him about the best time to visit your destination. It is best to avoid extreme summer months and the monsoon season. Winter is a good time  to visit many places. All information is not always available online. Your Indian friend may also be able to tell if there are any cultural or other events happening. It is generally possible to book a hotel online.

STAY
It is generally preferable to stay in a city from where you can get to your sightseeing places fast. Traffic takes some time. You can get quite good double rooms for € 50 per night. http://www.makemytrip.com and http://www.yatra.com are good websites to search hotels and check their review. I have found them both to be reliable.

TRANSPORT
Transport within the country is easy. Most large cities are connected by air to international airports. Good full-service carriers are: Kingfisher, Air India, Jet airways. You can book through the two travel sites mentioned above. The ticket costs are low but the taxes etc. bring the cost up. At today's rate I cannot say that they are any less costly than Lufthansa etc. If your destination is a city not connected by air, you can travel there by air. Train fares are extremely low but it will be slower. If you are booking train, take help of a friend. Website is http://www.irctc.co.in . You can book using your credit card. There are two types if ticket. You need to select e-ticket. Select AC 2nd class, AC 1st class or AC chair car for travel. Remember to carry your passport as identity proof during the journey. Few points to note: the ticket is valid only for the selected train and date. Also your ticket includes a reservation for seat. Since trains are usually overbooked, it is advised that you get your tickets at leastr 15 days in advance.

Local transport infrastructure is not exactly world-class, but the chauffeur driven taxis are quite cheap. Ask the hotel to arrange for a pick-up to and from the airport. For sight seeing, the hotel or your friend can help you get a full-day taxi to show you the city or the particular sightseeing place. There are government authorized pre-paid taxi counters at airports, which can be selected. But the cost-to-convenience ratio is better if you ask the hotel. Usual taxi rates are € 0.25 per kilometer.

Though car rentals are available, it is not recommended. The Indian cars are right hand drive and the traffic is unpredictable. A chauffeur driven taxi is better for all purposes.

SECURITY
India does have some security issues but it is not too bad. You will be safe if you follow some common precautions:
 - Always inform your Indian friends or hotel staff about your itinerary.
 - Do not keep lot of cash with you. Visible cash attracts trouble makers.
 - Do not go to lonely places, especially at night.
 - Keep money and documents close to body and at seperate places.
 - Do not take law into your hands, Indian judicial system is quite complicated.
 - Try to have company whenever possible. Going alone to lonely places is not recommended.
 - Have a cell hpone with you.

CURRENCY
Current rate of EUR to INR is 1 EUR = 68 INR. You can get currency exchanged at airport. But it is not recommended to have lot of cash to carry. Carry € 100 (in INR) at a time for small purchases. Bigger purchases may be done by your credit card (especially hotel and air-tickets). If you have a visa electron or maestro debit (bank) cards, it is good. You can go to any of the bank ATMs (Geldautomat or Bankomat) to withdraw cash. There are plenty of ATMs and located conveniently at many places and the charge for withdrawing from different bank's ATM is less. It is most convenient way to convert cash.

COMMUNICATION

You can get a mobile (handy) SIM card from airport. Call rates are low: within India ( € 0.02 per minute), to European countries ( € 0.30 per minute). It is recommended for easier communication and security.
Most good hotels have free wireless internet. India supports the European cellular frequencies, so your European phone should always work in India. Go for Airtel or Vodafone connections. If you could not get it at the airport, take help from your local contact or hotel staff to get one.

Most good hotels have wireless intenet which you can use if you are carrying a notebook computer or a cellular phone with WLAN.

If there are any more queries, add in comments. Have a pleasant stay in India.
Bienvenue, Wilkommen.

Posted via web from मेरे संस्मरण

Thursday 9 July, 2009

few more photos

I love this car.
and I love apricots.
I love this beautiful row of houses.


See the full gallery on posterous

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Tuesday 7 July, 2009

Nuremberg Local

इस वीकेंड कहीं बहार जाने का प्रोग्राम नही बनाये। सोचे की अपने शहर को तो अच्छे से देख लें। पिछली बार जब मैं घूमा था तो मेरे पास Nuremberg Pass था। यह १९ € का होता है और इससे सारे म्यूज़ियम देख सकते हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे सिटी पास यूरोप के हर शहर में होते हैं, और अच्छी डील होती है. अब दो दिन तो सारे म्यूज़ियम देखने के लिए कम ही थे। तो मैंने सिर्फ़ बड़े म्यूज़ियम देखे। कई छोटे म्यूज़ियम रह गए थे और शहर तो मैंने लगभग देखा ही नही था! इसलिए इस वीकेंड कहीं बहार नही गया।

यूरोप के बड़े शहरों में कोई एक बस या ट्राम होती है जो शहर के सब टूरिस्ट स्पॉट पे जाती है। यह ख़ास टूरिस्ट के लिए ही प्लान की जाती है। नुरेम्बर्ग में बस रूट ३६ टूरिस्ट लाइन है। (हेलसिंकी, फिनलैंड में ट्राम नम्बर ७A थी ) तो मैं होटल से प्लार्रेर गया जहाँ से यह शुरू होती है और झट से इस बस में बैठ गया।

यह बस पहले मुझे मेन मार्केट ले गई। यह एक लोकल मार्केट है. यहाँ पे किसान अपने खेत पे उगाये हुए फल, फूल और सब्जियां बेचते हैं। फल बिल्कुल ताजे दिख रहे थे। अच्छे तरह से सजे हुए फल-सब्जियां और फूलों की वजह से रंग बिरंगा नज़ारा बहुत अच्छा लग रहा था। छूते फूल लोग अपने घर की खिड़कियों पे लगते हैं। गार्डन के लिए थोड़े बड़े फूल और छोटे पौधे ( जैसे हरी मिर्च और पुदीना) भी मिल रहे थे। अप्रिकोट थो खाते ही हैं, सुखा हुआ मेवे की तरह इस्तेमाल होता है। मैंने थोड़ा थोड़ा दोनों लिया।

From Nuremberg City
From Nuremberg City

बस इसके बाद नुरेम्बर्ग किले से होते हुए Wöhrder Wiese पंहुचा जो नुरेम्बर्ग के बीच में बड़ा सा पार्क। ऐसी जगह हर शहर में होनी चाहिए। न्यू यार्क के सेंट्रल पार्क को तो सब जानते हैं। मुंबई के जॉगर्स पार्क का अच्छा रूप. यहाँ पे एक तालाब था, झरने लगे थे, jogging के लिए जगह थी, बच्चों के लिए झूले लगे थे और ऐसे ही बहुत कुछ। मैंने यहाँ पे १-२ किलोमीटर टहला और बच्चों को खेलते हुए देखने के मज़े लिए। फ़िर उसी बस से आगे बढ़ गया. रास्ते में कई जगहें अच्छी लग रही थी पर रुका नही.

From Nuremberg City
From Nuremberg City

इसके बाद बस के आखिरी स्टाप पे पहुँचा जो की documentations center है। किसी ज़माने में यहाँ पे नाज़ी पार्टी (national socialist party) की रैली करायी जाती थी। यह ११ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बना है और सबसे बड़ा मंच रोम के कोल्लोसेयम की तरह दीखता था. बहुत भव्य ईमारत थी, जैसे रोम का कोल्लोसेयम। यहाँ घूम के मैन होटल वापस आ गया।

From Nuremberg City
From Nuremberg City

सन्डे को मैं फुरत गया जो नुरेम्बर्ग के पास छोटा सा शहर है। कोई ख़ास जगह नही देखनी थी, बस ऐसे ही तेहेलने. कई लोग यहाँ साइकिल चला पे घूमे रहे थे. बहुत शांत सी जगह थी.

From Nuremberg Suburbs
From Nuremberg Suburbs

शायद आप जानते नही होंगे, Faber Castell (http://www.faber-castell.in) नुरेम्बर्ग की कंपनी है। फाबर कास्टल पेंसिल और क्रेयोन बनने की यह बहुत पुराणी (1761) कंपनी है. इनका अपना एक महल है (http://www.faber-castell.de/13511/The-Company/The-Faber-Castell-Castle/index_ebene3.aspx ) . आज बंद था तो अन्दर नही जा पाया . वैसे बहार से देखने में लगता था की जैसे कहानी में से निकल के आया है.

From Nuremberg Suburbs

Posted via web from मेरे संस्मरण