लौसान्न बहुत सुंदर था, पर अभी तो हमने अपना इन्टर्लाकेन ही नहीं देखा था ठीक से। रोज़ बहार निकल जाते थे। लौसान्न से लौटे तो शाम को ७ बजे इन्टर्लाकेन पहुचे। आते समय हम इन्टर्लाकेन ऑस्ट स्टेशन की जगह इन्टर्लाकेन वेस्ट स्टेशन पे उतर गए। यह स्टेशन इन्टर्लाकेन ऑस्ट स्टेशन से बड़ा था और आस पास कई दुकाने भी थी। दोनों स्टेशन के बीच की दूरी २-३ किलोमीटर थी। तो हमने सोचा की इस स्टेशन से दूसरे तक टेहेलते हुए जाते हैं।
मैप अच्छा था। रास्ता आसानी से मिल गया। पहले तो हमने डिनर पैक करा लिया जिससे की देर हो तो खाने की दिक्कत न हो। दोनों झीलों को जोड़ती हुई एक नहर थी। नहर के साथ-साथ एक सड़क जाती थी। हम बस उस सड़क पे चलते गए। नहर में बतख तैर रही थी। पानी बहुत साफ़ था, जैसे मिनेरल वाटर। किनारे पे जो घर थे वो बहुत सुंदर थे। फूल तो देखने लायक थे घरों में। घर के सामने बगीचे में और खिड़कियों पे, हर तरफ। उन्होंने बहुत अच्छे से मेन्टेन किया था। सड़क पे से पहाडियों का नज़ारा भी अच्छा लगता था।
हम चलते गए फिर हम नहर के साथ साथ इन्टर्लाकेन ऑस्ट स्टेशन पहुच गए। वहां पास में एक पार्क था जहाँ बैठने की जगह थी। वहां हमने खूब समय बिताया। फिर हम इन्टर्लाकेन ऑस्ट में अन्दर की तरफ गए जहाँ अपार्टमेन्ट और घर थे। अपार्टमेन्ट बहुत ही सुंदर और वेल मेन्टेन थे। हर तरफ फूल लगे थे। यहाँ के रोड डिवाइडर में भी फूल लगे थे जो बहुत सुंदर थे।
Posted via email from मेरे संस्मरण
No comments:
Post a Comment