Switzerland-3: Lausanne
दूसरे दिन हम लौसान्न घूमने गए। लौसान्न लेक जिनेवा के किनारे बसा है, जो देश के सबसे सुंदर जगहों में गिनी जाती है. असल में हम शहर नही घूमना चाहते थे, इस झील के किनारे के इलाके घूमना चाहते थे। तो हम लौसान्न तो पहुचे पर वहां से हम तुंरत Montreux जाने वाली ट्रेन पकड़े। यह एक लोकल ट्रेन है जो लेक जिनेवा के किनारे-किनारे चलती है। बहुत सुंदर रास्ता है यह। एक तरफ़ सुंदर पहाड़ जिनपर अंगूर की खेती होती है, और दूसरी तरफ़ बहुत सुंदर सी झील।
हम लोग रास्ते में जो स्टेशन सुंदर लगता था, उसपे उतर जाते थे। पहले हम एक बहुत छोटे स्टेशन संत सोफोरिन पे उतर गए। स्टेशन से निकल कर गाँव में गए। बगल में एक छोटा सा रास्ता था जो झील के किनारे जाता था। पत्थर का प्लेटफोर्म बना था। थोडी हवा चल रही थी तो झील की लहरें आकर टकराती थी। मैं पहले ही बता दूँ कि फोटो में जितना सुंदर लगता है, उससे कहीं ज़्यादा सुंदर जगह है।
वहां से हम लोग ट्रेन पकड़े और फ़िर एक और स्टेशन पे उतरे जिसका नाम था लुतरी। यह थोडी बड़ी जगह थी। कई बड़े बड़े घर थे। यहाँ पर उतर कर हम झील कि तरफ़ गए। झील के किनारे बहुत सारी नाव खड़ी थी। और किनारे पे एक काफ़ी की दूकान थी जहाँ पे हमने काफ़ी पी। किनारे पे बत्तख तैर रही थी। पास में पार्क था जहाँ बच्चे खेल रहे थे। बहुत अच्छी हवा चल रही थी। हम लोग झील के किनारे दूर तक सैर किए।
वहां फाफी देर घूमने के बाद वापस स्टेशन की तरफ़ बढ़े। रास्ते में अंगूर का एक बाग़ था उसमें घुस गए। वहां पे अंगूरों के साथ फोटो खिचवाए। सब मिलकर बहुत मज़ा आया। लोग भी अच्छे थे।
वापस लौसान्न लौटकर हम एक फूलों के कोई शो था (कितने फूल हैं यार!) जिसको देखने शहर में गए। पर वोह मिला नही और हमारे पास टाइम ख़त्म हो रहा था। तो हम लोग वापस लौ कर स्टेशन पहुच गए जहाँ से वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ लिए। शहर में बहुत मज़ा नही आया, शायद इसीलिए मैं हमेशा छोटी जगह देखने जाता हूँ।
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