पेरिस के बारे में मैंने बहुत सुना था और टीवी पे देखा था। कई सालों से जाने का मन था। तो जब बार जाने का मौका मिला तो सूचा की इस बार नहीं मिस करेंगे फिर क्या था पता वता किया, ऑफिस से छुट्टी ली, बुकिंग करायी और, निकल पड़े, पेरिस के लिए।
हम लोग पेरिस एअरपोर्ट पे उतरे तो देखा बहुत बड़ा एअरपोर्ट है, एक से दूसरे टर्मिनल के बीच बस और ट्रेन चलती है। हमको सिटी पास वगैरह लेना था। शहर में घूमने के लिए हमने पेरिस विस्ते टिकेट लिया जो तीन दिन का पास होता है। किसी भी बस या ट्रेन में बैठ सकते हैं। अच्छा होटल मिल गया था जो अपने दाम के हिसाब से बहुत सही था वैसे तो पेरिस। के होटल बहुत मेहेंगे होते हैं यह सही था, और यहाँ से कहीं भी जाना आसान था। पेरिस में एइफ्फेल टावर तो है, इसके इलावा पेरिस में बहुत सारे म्यूज़ियम भी हैं। तो हमने म्यूज़ियम पास भी लिया। इससे हम पेरिस के किसी भी म्यूज़ियम में जा सकते थे।
फ़िर हम ट्रेन से एअरपोर्ट से पेरिस शहर आए और ट्रेन बदल कर कर होटल पहुच गए। तैयार होकर अर्क दी त्रिओम्फे (
http://en.wikipedia.org/wiki/Arc_de_Triomphe) गए। यह नेपोलियन की जीत पे बनाया गया स्मारक है। इसे देखकर, और फोटो खीच कर हम Avenue des Champs-Élysées घूम जो दुनिया की सबसे प्रसिद्ध सड़कों में से है। इस सड़क के दोनों तरफ़ बड़े बड़े ब्रांड के शोरूम हैं। लम्बौर्घिनी, रेनोल्ट, टोयोटा, कार्तिएर, डिज़नी, हूगो, जो नाम लीजिये। हम लोग कुछ दुकानों में घूमने गए।
यह सब घुमते हुए हम इस सड़क की दूसरे छोर पहुचे। यहाँ सड़क के दोनों तरफ़ दो महल थे: ग्रैंड पैलेस और पेटिट पैलेस। यहाँ से हम इन्वेलिडेज़ आए। यहाँ पे कई इमारतें और म्यूज़ियम हैं जो फ्रांस की मिलिटरी इतिहास से जुड़ी हुई हैं। यहाँ पे पेरिस की सिएन रिवर के ऊपर बना हुआ सुंदर पुल था जिसके दोनों तरफ़ सुंदर मूर्तियाँ लगी हुई थी। इस पुल से एइफ्फेल टावर भी दिख रहा था।
शाम होने पे हम टूर पकड़ने अपने टूर ओपेरटर के ऑफिस गए। टूर में हमने एइफ्फेल टावर के ऊपर तक जाने का टिकेट भी था। तो उनके टूर के साथ एइफ्फेल टावर गए ऊपर तक। वहां से पूरा शहर अच्छे से दिख रहा था। यह सही चीज़ थी!
एइफ्फेल टावर के बाद टूर वाले हमको सिएन रिवर क्रुज़ का पास दिए। हम लोग उस बोट पे बैठकर शहर घूमने गए। इस क्रुज़ से पेरिस की सब अच्छी इमारतें दिख रही थी जो शाम को और भी सुंदर लग रही थी। साथ में वोह पेरिस का इतिहास भी बताते जा रहे थे।
क्रुज़ के बाद इल्लुमिनेशन्स टूर की बारी थी। इस टूर में पेरिस रात को घुमाते हैं। रात की रौशनी में पेरिस बहुत ज़्यादा सुंदर लगता है। पूरा शहर जगमगा उठता है। एइफ्फेल टावर पे अच्छी रौशनी की जाती है। टूर ख़त्म होने पे हमने सोचा की बहुत अच्छा टूर मिला। घूम फ़िर कर हम थक गए और वापस होटल लौटने की सूचे। रात के १० बज रहे थे। रेस्तरां में खाना खोजे तो सब बंद हो रहे थे। यूरोप में डिनर जल्दी कर लेना चाहिए। अगर मक्दोनाल्ड्स, KFC टाइप की दुकाने न हो तो टूरिस्ट भूखे ही रह जायेंगे। तो हमने KFC पे डिनर किया और होटल पहुँच गए।
दूसरे दिन हम सुबह सुबह वेर्सैल्ले पैलेस (
http://en.wikipedia.org/wiki/Palace_of_Versailles) घूमने गए। यह एक भव्य महल था। हर तरफ़ मूर्तियाँ और पेंटिंग लगी हुई थी। बहुत महंगा बनाया गया होगा। हर तरफ़ राजसी शान-ओ-शौकत थी। राजाओं के टाइम में कैसा रहा होगा, कल्पना भी नही कर सकते।
दिन कैसे निकल जाता है पता ही नही चलता है। दोपहर हो गई थी। अब पेरिस लौटते तो कई म्यूज़ियम बंद हो जाते। बहुत प्लान करके चलना पड़ता है। मैं ज़्यादा जगह घूमने की जगह मैं जो जगह जाऊँ अच्छे से घूमना चाहता हूँ। सब सोच के हम एक्वेरियम घूमने गए। यहाँ पे ढेर सारी मछलियाँ थी कुछ बड़ी, कुछ बहुत छोटी और कुछ बहुत ही सुंदर।
इसके बाद हम नेशनल लाइब्रेरी घूमने गए। आप सोचेंगे की लाइब्रेरी भी कोई घूमने की जगह है (
http://en.wikipedia.org/wiki/Biblioth%C3%A8que_nationale_de_France), और वोह भी जब अन्दर न जाने मिले? पर मेरे लिए सही जगह थी। काश मेरे देश में भी कोई ऐसी लाइब्रेरी होती! इसमें एक करोड़ से ज़्यादा किताबे हैं। चार बड़ी बड़ी बिल्डिंग में फैला हुआ है। उसके एक तरफ़ सिएन नदी थी। वहां से शहर का नज़ारा बहुत अच्छा लगता है। इतना घूम के थक गए थे तो थोड़ा आराम करने गए। फ़िर शाम को शहर घूमने का प्लान था।
शाम को एइफ्फेल टावर देखने का प्रोग्राम था। रात को १० बजे एइफ्फेल टावर पे सुंदर बिजली की सजावट होती है। ट्रेन छूटने के कारन एइफ्फेल टावर तक नही पहुच पाए, तो इन्वेलिडेज़ के पास से देखने के लिए दौड़ लगाये। इन्वेलिडेज़ से दूर से दिख रहा था पर पूरा दीखता था, और सुंदर लगता है। जब एइफ्फेल टावर की बिजली झिलमिलाने लगी तो हम देख के बहुत खुश हुए। बहुत अच्छा नज़ारा था। यह १० मिनट चला। हमने एइफ्फेल टावर मन भर देखा।
थोडी देर में हम एइफ्फेल टावर के पास वाले स्टेशन पे उतर गए। जब बहार आए तो वोह दिखा नही । मैंने सोचा की शायद ग़लत स्टेशन है। फ़िर पता चला की हम उलटी तरफ़ जा रहे थे :) । पलट के देखा तो हमारे पीछे मशहूर एइफ्फेल टावर खड़ा था। हम उसके पास गए और अच्छे से देखे। कुछ समय वहां बिताये।
यह देखने के बाद हम कांकोर्ड और लौव्रे म्यूज़ियम होते हुए ऑपेरा हाउस पहुचे। इन सब बिल्डिंग की नक्काशी बहुत सुंदर है, तो बहार से देखे। फ़िर ऑपेरा के पास एक रेस्तरां पे अंग्रेजों की तरह डिनर किए।
तीसरे दिन हम लौव्रे म्यूज़ियम (
http://en.wikipedia.org/wiki/Louvre) देखने गए। यहाँ पे मोना लिसा पेंटिंग है और भी बहुत कुछ है देखने को। सन्डे की वजह से बहुत भीड़ थी। हमने मोना लिसा देखी और बहुत साड़ी पुरानी मूर्तियाँ भी। यहाँ पे तो पूरा दिन बिता सकते हैं। हम १-२ घंटे बाद निकल लिए।
लौव्रे के बाद हम नोट्रे डेम कैथेड्रल (
http://en.wikipedia.org/wiki/Notre_Dame_de_Paris) देखने गए। यह एक बहुत सुंदर चर्च है जिसको बनने में २०० साल लगे थे। इसके ऊपर बहुत महीन नक्काशी है। ईसाईयों के लिए यह एक तीर्थ स्थान है। नोट्रे डेम कैथेड्रल जाने के इए सिएन नदी के किनारे चलते जाना था। नदी किनारे कुछ दुकाने थी जहाँ पे सुंदर पोस्टर मिल रहे थे। हमने पेरिस के कुछ पोस्टर खरीदे।
फ़िर हम डिफ़ेन्स म्यूज़ियम देखने गए जहाँ पे नेपोलियन और चार्ल्स दी ग़ौल्ल के ऊपर झांकियां और म्यूज़ियम थे। उनके इतिहास के बारे में एक फ़िल्म भी चल रही थी जो हमने देखी। इसके बाद हम एक बार और अर्क दी त्रिओम्फे देखने गए और इस बार हम उसके ऊपर तक गए। ऊपर से शहर दूर दूर तक दिख रहा था। लेकिन ऊपर चढ़ने में हालत ख़राब हो गई। फ़िर हम Avenue des Champs-Élysées पे एक रेस्तरां पे खाना खाए। हम लोग अकेले भारतीय थे रेस्तरां पे। शाम होने पे हम एक बार फ़िर एइफ्फेल टावर घूमें और सिएने नदी के किनारे सैर की। अगले दिन हम प्लेन पकड़ कर नुरेम्बर्ग आ गए।
(View of Avenue des Champs-Élysées from top of Arc de Triomphe)
पेरिस घूम कर बहुत मज़ा आया। एक बात अच्छी नही लगी वोह यह की हम ज्यादातर समय अंडरग्राउंड ट्रेन से आते जाते थे. ज़मीन के नीचे होने से यह सुंदर शहर अच्छे से नही देख पाए. अगली बार साइकिल से घूमेंगे. पेरिस मेरे यूरोप के आईडिया में फिट नही बैठता। मेरे लिए यूरोप का मतलब है की सुंदर बिल्डिंग्स, हर तरफ़ हरियाली, खुली जगह, कहीं कोई भीड़ नही, जो लोग दिखे वोह भी मुस्कुराते हुए। पेरिस ऐसा नही है, पर फ़िर भी घूमने की अच्छी जगह है। एक बार तो जाना चाहिए।
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