इस वीकेंड कहीं बहार जाने का प्रोग्राम नही बनाये। सोचे की अपने शहर को तो अच्छे से देख लें। पिछली बार जब मैं घूमा था तो मेरे पास Nuremberg Pass था। यह १९ € का होता है और इससे सारे म्यूज़ियम देख सकते हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे सिटी पास यूरोप के हर शहर में होते हैं, और अच्छी डील होती है. अब दो दिन तो सारे म्यूज़ियम देखने के लिए कम ही थे। तो मैंने सिर्फ़ बड़े म्यूज़ियम देखे। कई छोटे म्यूज़ियम रह गए थे और शहर तो मैंने लगभग देखा ही नही था! इसलिए इस वीकेंड कहीं बहार नही गया।
यूरोप के बड़े शहरों में कोई एक बस या ट्राम होती है जो शहर के सब टूरिस्ट स्पॉट पे जाती है। यह ख़ास टूरिस्ट के लिए ही प्लान की जाती है। नुरेम्बर्ग में बस रूट ३६ टूरिस्ट लाइन है। (हेलसिंकी, फिनलैंड में ट्राम नम्बर ७A थी ) तो मैं होटल से प्लार्रेर गया जहाँ से यह शुरू होती है और झट से इस बस में बैठ गया।
यह बस पहले मुझे मेन मार्केट ले गई। यह एक लोकल मार्केट है. यहाँ पे किसान अपने खेत पे उगाये हुए फल, फूल और सब्जियां बेचते हैं। फल बिल्कुल ताजे दिख रहे थे। अच्छे तरह से सजे हुए फल-सब्जियां और फूलों की वजह से रंग बिरंगा नज़ारा बहुत अच्छा लग रहा था। छूते फूल लोग अपने घर की खिड़कियों पे लगते हैं। गार्डन के लिए थोड़े बड़े फूल और छोटे पौधे ( जैसे हरी मिर्च और पुदीना) भी मिल रहे थे। अप्रिकोट थो खाते ही हैं, सुखा हुआ मेवे की तरह इस्तेमाल होता है। मैंने थोड़ा थोड़ा दोनों लिया।
बस इसके बाद नुरेम्बर्ग किले से होते हुए Wöhrder Wiese पंहुचा जो नुरेम्बर्ग के बीच में बड़ा सा पार्क। ऐसी जगह हर शहर में होनी चाहिए। न्यू यार्क के सेंट्रल पार्क को तो सब जानते हैं। मुंबई के जॉगर्स पार्क का अच्छा रूप. यहाँ पे एक तालाब था, झरने लगे थे, jogging के लिए जगह थी, बच्चों के लिए झूले लगे थे और ऐसे ही बहुत कुछ। मैंने यहाँ पे १-२ किलोमीटर टहला और बच्चों को खेलते हुए देखने के मज़े लिए। फ़िर उसी बस से आगे बढ़ गया. रास्ते में कई जगहें अच्छी लग रही थी पर रुका नही.
इसके बाद बस के आखिरी स्टाप पे पहुँचा जो की documentations center है। किसी ज़माने में यहाँ पे नाज़ी पार्टी (national socialist party) की रैली करायी जाती थी। यह ११ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बना है और सबसे बड़ा मंच रोम के कोल्लोसेयम की तरह दीखता था. बहुत भव्य ईमारत थी, जैसे रोम का कोल्लोसेयम। यहाँ घूम के मैन होटल वापस आ गया।
सन्डे को मैं फुरत गया जो नुरेम्बर्ग के पास छोटा सा शहर है। कोई ख़ास जगह नही देखनी थी, बस ऐसे ही तेहेलने. कई लोग यहाँ साइकिल चला पे घूमे रहे थे. बहुत शांत सी जगह थी.
शायद आप जानते नही होंगे, Faber Castell (http://www.faber-castell.in) नुरेम्बर्ग की कंपनी है। फाबर कास्टल पेंसिल और क्रेयोन बनने की यह बहुत पुराणी (1761) कंपनी है. इनका अपना एक महल है (http://www.faber-castell.de/13511/The-Company/The-Faber-Castell-Castle/index_ebene3.aspx ) . आज बंद था तो अन्दर नही जा पाया . वैसे बहार से देखने में लगता था की जैसे कहानी में से निकल के आया है.
Posted via web from मेरे संस्मरण
No comments:
Post a Comment