Wednesday, 15 July 2009
Paris Aquarium
Posted by Prateek at 9:34 am 0 comments
Paris Aquarium
Posted by Prateek at 9:33 am 0 comments
Paris Aquarium
Posted by Prateek at 9:32 am 0 comments
Paris Aquarium
Posted by Prateek at 9:22 am 0 comments
Thursday, 9 July 2009
few more photos
I love this car.
and I love apricots.
I love this beautiful row of houses.
Posted by Prateek at 5:34 am 0 comments
Tuesday, 7 July 2009
Nuremberg Local
इस वीकेंड कहीं बहार जाने का प्रोग्राम नही बनाये। सोचे की अपने शहर को तो अच्छे से देख लें। पिछली बार जब मैं घूमा था तो मेरे पास Nuremberg Pass था। यह १९ € का होता है और इससे सारे म्यूज़ियम देख सकते हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे सिटी पास यूरोप के हर शहर में होते हैं, और अच्छी डील होती है. अब दो दिन तो सारे म्यूज़ियम देखने के लिए कम ही थे। तो मैंने सिर्फ़ बड़े म्यूज़ियम देखे। कई छोटे म्यूज़ियम रह गए थे और शहर तो मैंने लगभग देखा ही नही था! इसलिए इस वीकेंड कहीं बहार नही गया।
यूरोप के बड़े शहरों में कोई एक बस या ट्राम होती है जो शहर के सब टूरिस्ट स्पॉट पे जाती है। यह ख़ास टूरिस्ट के लिए ही प्लान की जाती है। नुरेम्बर्ग में बस रूट ३६ टूरिस्ट लाइन है। (हेलसिंकी, फिनलैंड में ट्राम नम्बर ७A थी ) तो मैं होटल से प्लार्रेर गया जहाँ से यह शुरू होती है और झट से इस बस में बैठ गया।
यह बस पहले मुझे मेन मार्केट ले गई। यह एक लोकल मार्केट है. यहाँ पे किसान अपने खेत पे उगाये हुए फल, फूल और सब्जियां बेचते हैं। फल बिल्कुल ताजे दिख रहे थे। अच्छे तरह से सजे हुए फल-सब्जियां और फूलों की वजह से रंग बिरंगा नज़ारा बहुत अच्छा लग रहा था। छूते फूल लोग अपने घर की खिड़कियों पे लगते हैं। गार्डन के लिए थोड़े बड़े फूल और छोटे पौधे ( जैसे हरी मिर्च और पुदीना) भी मिल रहे थे। अप्रिकोट थो खाते ही हैं, सुखा हुआ मेवे की तरह इस्तेमाल होता है। मैंने थोड़ा थोड़ा दोनों लिया।
From Nuremberg City |
From Nuremberg City |
बस इसके बाद नुरेम्बर्ग किले से होते हुए Wöhrder Wiese पंहुचा जो नुरेम्बर्ग के बीच में बड़ा सा पार्क। ऐसी जगह हर शहर में होनी चाहिए। न्यू यार्क के सेंट्रल पार्क को तो सब जानते हैं। मुंबई के जॉगर्स पार्क का अच्छा रूप. यहाँ पे एक तालाब था, झरने लगे थे, jogging के लिए जगह थी, बच्चों के लिए झूले लगे थे और ऐसे ही बहुत कुछ। मैंने यहाँ पे १-२ किलोमीटर टहला और बच्चों को खेलते हुए देखने के मज़े लिए। फ़िर उसी बस से आगे बढ़ गया. रास्ते में कई जगहें अच्छी लग रही थी पर रुका नही.
From Nuremberg City |
From Nuremberg City |
इसके बाद बस के आखिरी स्टाप पे पहुँचा जो की documentations center है। किसी ज़माने में यहाँ पे नाज़ी पार्टी (national socialist party) की रैली करायी जाती थी। यह ११ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बना है और सबसे बड़ा मंच रोम के कोल्लोसेयम की तरह दीखता था. बहुत भव्य ईमारत थी, जैसे रोम का कोल्लोसेयम। यहाँ घूम के मैन होटल वापस आ गया।
From Nuremberg City |
From Nuremberg City |
सन्डे को मैं फुरत गया जो नुरेम्बर्ग के पास छोटा सा शहर है। कोई ख़ास जगह नही देखनी थी, बस ऐसे ही तेहेलने. कई लोग यहाँ साइकिल चला पे घूमे रहे थे. बहुत शांत सी जगह थी.
From Nuremberg Suburbs |
From Nuremberg Suburbs |
शायद आप जानते नही होंगे, Faber Castell (http://www.faber-castell.in) नुरेम्बर्ग की कंपनी है। फाबर कास्टल पेंसिल और क्रेयोन बनने की यह बहुत पुराणी (1761) कंपनी है. इनका अपना एक महल है (http://www.faber-castell.de/13511/The-Company/The-Faber-Castell-Castle/index_ebene3.aspx ) . आज बंद था तो अन्दर नही जा पाया . वैसे बहार से देखने में लगता था की जैसे कहानी में से निकल के आया है.
From Nuremberg Suburbs |
Posted by Prateek at 12:03 am 0 comments
Wednesday, 1 July 2009
Mercedes Benz Museum - Stuttgart
http://en.wikipedia.org/wiki/Mercedes-Benz
http://www.museum-mercedes-benz.com/?lang=en
स्टुटगार्ट मर्सीडीज़ बेन्ज़ का शहर है। यहाँ पे दुनिया की इस सबसे प्रसिद्ध कार कंपनी की बहुत बड़ी फैक्ट्री और हेड ऑफिस है। एक बहुत बड़े इलाके में इनका ऑफिस, फैक्ट्री, शोरूम, स्टेडियम (हाँ, इनका अपना स्टेडियम भी है!) और म्यूज़ियम है। मैं वेनिस से सुबह ७ बजे स्टुटगार्ट लौटी आया। यहाँ से न्यूरमबर्ग के लिए शाम ४ बजे की ट्रेन थी। तो हमारे पास ८-९ घंटे थे स्टुटगार्ट में बिताने के लिए। तो हमने सोचा की यह म्यूज़ियम देख लेते हैं, फ़िर १-२ जगह और देख लेंगे। मयूसेम १० बजे खुलता है, तो हम २-३ घंटे फ्रेश होने और नाश्ता करने में निकाल दिए। मेरे साथ राजकुमार था जो मेरे ऑफिस में काम करता है। ठीक ठाक बनकर हम मर्सीडीज़ बेन्ज़ स्त्रस्से पहुच गए जहाँ इनका सब कुछ था।
मर्सीडीज़ बेन्ज़ म्यूज़ियम पहुंचे तो बोले wow! बहुत सुंदर बिल्डिंग हमारे सामने थी, जिसे बस देखते ही रह गए। इस ८ मंजिल की ईमारत में इन्होने अपना १०० साल से ज़्यादा पुराना इतिहास संजो के रखा था। १८८६ में कार्ल बेन्ज़, गोत्त्लिएब दैम्लेर और विल्हेल्म मेबैक ने अलग-अलग ऑटोमोबाइल का आविष्कार किया था। फ़िर बीसवी शताब्दी में फ्रांस के कार डीलर के साथ मिलकर मर्सीडीज़ बेन्ज़ कंपनी बन गई। आज यह डायम्लर-क्रायस्लर नाम से है और मर्सीडीज़ ब्रांड इसका एक हिस्सा है।
From Mercedes Benz Museum - Stuttgart |
म्यूज़ियम में दुनिया की पहली कार भी राखी थी। और यह भी दिखाया गया था की इंजन के आविष्कार के बाद कैसे उसे अलग अलग वाहनों में इस्तेमाल किया जाने लगा। ८ मंजिलों में इन्होने अपना ही नही, गाड़ियों का पूरा इतहास भी सजा के रखा था। तमाम कारें राखी थी। और कारें ही नही, बस और ट्रक भी थे जो यह लोग बनते हैं।
From Mercedes Benz Museum - Stuttgart |
From Mercedes Benz Museum - Stuttgart |
हर तरह की गाड़ियों के इलावा मशहूर गाडियाँ भी थी, जैसे प्रिंसेस डायना की कार ,
पोप की कार
From Mercedes Benz Museum - Stuttgart |
अर्नाल्ड श्वारज़ेनेगर की कार,
From Mercedes Benz Museum - Stuttgart |
और वोह कार जो लोस्ट वर्ल्ड फ़िल्म में डायनासौर के साथ काम की थी।
From Mercedes Benz Museum - Stuttgart |
एक मंजिल इनके रेसिंग कारों के लिए था। मर्सीडीज़ रेसिंग में हमेशा आगे रही है, चाहे वोह फार्मूला-वन हो या रैली। आज भी मर्सीडीज़-मैकलारेन टीम सबसे अच्छी टीम मानी जाती है। इनकी सबसे पहली रेसिंग कार से लेकर आज तक की कारें और बाकी तरह की गाडियाँ सजा के राखी गई थी।
From Mercedes Benz Museum - Stuttgart |
एक रेसिंग सिमुलेटर था, जिसमें बैठा के एक छोटी फ़िल्म दिखाते थे। जिस डब्बे में बैठाते थे वोह फ़िल्म का पूरा एहसास देता था। जैसे कार घूमने पे तिरछा होता था। सड़क ख़राब होने पे झटके लगते थे वगैरह। यह सबसे मजेदार चीज़ थी.
Racing Simulator in Mercedes Benz Museum from Prateek Srivastava on Vimeo.
यहाँ देखने को इतना कुछ था की यहाँ लिख नही सकते। हम यहाँ १-२ घंटे बिताने १० बजे गए थे और शाम ४ बजे दौड़ते- दौड़ते ट्रेन पकड़े। ५ घंटे कम पड़ रहे थे घूमने के लिए। बाकी जब मिलेंगे तब बताएँगे। कितना लिखें, आप लोग फोटो देखिये।
tag: Germany, Stuttgart, Mercedes Benz, Museum
Posted by Prateek at 4:23 am 0 comments